जापानी लिखाई शैलियों का विकास दुनिया भर में अन्य लिखाई शैलियों के साथ सामान्य है। हिरागाना, कटाकना और कन्जी आदि शब्दों में विभिन्न लेखन शैलियों का उपयोग जापानी वर्णमाला को लिखने के लिए किया जाता है। जापान के सभी भागों में इन लिखाई शैलियों का उपयोग किया जाता है और आजकल ये लिखाई स्टाइल्स न केवल जापान बल्कि अन्य देशों में भी बहुत लोकप्रिय हैं।
कलीग्राफी आधुनिक जापानी लिखाई का उद्गम और संकेतिक शैली है। यह सिर्फ लेखन के लिए उपयोगी नहीं होती है, बल्कि इसे कला के रूप में भी जाना जाता है। इस शैली में, जापानी स्क्रिप्ट के अक्षरों को एक छोटे-से स्तर पर लिखा जाता है जिसके शब्दों के भीतर में खींचाव होता है। यह शैली आधुनिक जापानी लिखाई के ऊर्ध्वमुखी आदर्श का आधार है जो हम सभी उपयोग में लाते हैं।
जब जापान को बुद्ध धर्म के माध्यम से चिनी संस्कृति से पहली बार परिचय मिला था, तब से जापान में संगम युग, नारा युग, हेयन काल और कोजिकी काल जैसी अनेक युग के बीच विभिन्न लिखाई शैलियों के उदय हुए।
संगम युग में, जापान में शुद्ध संस्कृत का उपयोग किया गया था जिसमें स्क्रिप्ट ने अपनी आधारभूत विशेषताओं को जन्म दिया। नारा युग में शैली नारा संस्कृति को आधार बनाकर बनी थी। इस युग में संस्कृति के भावों को व्यक्त करने के लिए सुंदर ग्रंथ हस्तलिखित किए जाते थे।
हेयन काल में, स्क्रिप्ट के बुद्धिस्त और प्राचीन ग्रंथों को लिखने के लिए उपयोग किया जाता था जिन्हें भारत से लाया गया था। इस युग में, बंगाल के मोहिनी शैली ने जापान में अपनीवादिता प्राप्त की थी।
कोजिकी काल में, स्क्रिप्ट को व्यंजनों के रूप में लिखने के लिए उपयोग किया गया था। इस शैली को दीर्घ ध्वनि पर ज्यादा ध्यान दिया जाता था जिससे इसे समझने में समस्या उत्पन्न होती थी।
जापान विशेष रूप से मुद्राओं के विषय में नवीनतम लेखन तक पहुंचा है। आधुनिक जापानी लेखन शैलियों में हिरागाना, कटाकना और कन्जी जैसे कई आवाजात्मक रूप होते हैं। ये लिखाई शैलियां आज भी जापान के सभी भागों में उपयोग की जाती हैं और दुनिया के अन्य देशों में भी जापानी बोलने वाले लोग इनका उपयोग करते हैं।
जापानी लिखाई स्टाइल का विकास उसकी संस्कृति और इतिहास से मजबूती से जुड़ा हुआ है। कलीग्राफी से आधुनिक लेखन तक, जापानी लिखाई स्टाइल के उदय में हर युग ने अपना हिस्सा किया है। आजकल यह शैलियां उनके साथ-साथ इस्तेमालकर्ताओं द्वारा बनाए गए संग्रहों और अभियांत्रिकी की जगह भी लेते हैं।